हॉस्पिटल में दूसरा जन्म

दोपहर का समय था, में रोजाना की तरह 2 बजे हॉस्पिटल आ गया था, हॉस्पिटल में आते ही में सबसे पहले हमारे ऑपरेशन थियेटर के दूसरे स्टाफ से मिला और उनसे मरीज की जानकारी ली तभी उनसे पता चला कि आज ऑपरेशन के लायक कोई मरीज हॉस्पिटल में नहीं है चुकी हमारे डॉक्टर की टीम ने सभी ऑपरेशन एक दिन पहले ही पूरे कर लिए थे।
कुछ समय बाद में और मेरा स्टाफ बैठ कर कुछ चर्चा कर रहे थे तभी एम्बुलेंस की अचानक आवाज सुनाई दी और स्वीपर स्टाफ और वार्ड बॉय दौड़ कर एम्बुलेंस की तरफ गए ।
में और बाकी स्टाफ भी मरीज को देख कर एक्टिव हो गए और ग्लव्स (दस्ताने) पहन कर तैयार हो गए ।
मरीज रोड़ ऐक्सिडेंट का था, मरीज की हालत देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि दुघर्टना बहुत भयानक थी।
मरीज को इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लिया गया और इलाज सुरु कर दिया गया।
मरीज के सर और हाथ, पाव पर बहुत गहरी चोट थी और खून भी काफी बेह रहा था ।
इमरजेंसी डिपार्मेंट के स्टाफ ने मरीज को इंजेक्शन और बाकी ट्रीटमेंट लगाया और गहरी चोट पर टाके लगाना शुरू किया ।
मरीज की हालत बहुत खराब थी और मरीज पूरी तरह से होश में भी नहीं था।
डॉक्टर की टीम भी मौके पर मौजूद थी, डॉक्टर के अनुसार सभी ट्रीटमेंट लगाया गया ।
कुछ समय बाद जब मरीज की हालत कुछ सही लगी तो उसको एक्स- रे हेतु ले जाया गया।
एक्स- रेे की रिपोर्ट आने पर पता चला कि मरीज के बाए पैर की दोनो हड़िया (फिमर और टीबिया) टूटी हुई है।
हड़ी रोग विशेषज्ञ को सूचना दी गई।
थोड़ी ही देर में हड़ियो के डॉक्टर भी वहां पर पहुंच गए और उन्होंने मरीज को देखा और कुछ टेस्ट भी किए और मरीज से कुछ जानकारी ली दुघर्टना के बारे में ।
मरीज का इमरजेंसी ट्रीटमेंट पूरा होने पर उसको वार्ड में भर्ती किया गया ।
डॉक्टर की पूरी टीम ने मरीज के पैर की दोनो हड़ियों पर प्लेट ( कृतिम स्टील की प्लेट) और स्करू की मदद से हडी को जोड़ने का प्लान किया ।
मरीज और मरीज के साथ वालो को सर्जरी के बारे में समझाया गया और बताया गया की किस प्रकार हड्डी को जोड़ा जाएगा ।
सभी कुछ हो जाने के बाद मरीज कि कुछ जांचे हुई और फिर सर्जरी का समय निश्चित किया जो की अगले दिन का था ।
अगले दिन मरीज को ऑपरेशन थियेटर में ले कर गए और वहां में और मेरी स्टाफ कि टीम तैयार थी और डॉक्टर की टीम भी पूरी तरह तैयार थी।
बेहोशी वाले डॉक्टर के द्वारा मरीज के शरीर को सुन किया गया और बाद में 4 घंटे की बड़ी सर्जरी के बाद हड्डी को प्लेट की सहायता से जोड़ा गया।
इस बीच काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
जैसे मरीज को खून चड़ाना पड़ा और बारीकी से इलाज करना पड़ा।
इस लंबी सर्जरी के बाद हम सभी बहुत थक गए थे क्युकी हड्डियों के टुकड़े जोड़ते जोड़ते 4 से 5 घंटे लग गए थे।
सफल ऑपरेशन के बाद सभी बहुत खुश हुए और मरीज को वार्ड में भेजा गया।
तकरीबन मरीज दो दिन हॉस्पिटल रहा और फिर उसको छुट्टी दे दी गई ।
मरीज की खुशी को देख कर में बहुत खुश हुआ क्युकी उसको एक नई जिंदगी मिली है और भगवान जो करता है अच्छा करता है।
मेरी सभी से यही प्रार्थना है की आप हमेशा वाहन को धीरे चलाए और हेलमेट पहन कर ही गाड़ी चलाए।

सर्जरी से पूर्व -
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