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Emergency Drugs

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EMERGENCY DRUGS Emergency drugs or life saving drugs  EMERGENCY DRUGS DOSES Drug (concentration) and Indication Dose Administration / Remarks Adenosine (3 mg/ml) Acute treatment of supraventricular tachycardia 1st 0.1 mg/kg/dose 2nd 0.2 mg/kg/dose 3rd 0.3 mg/kg/dose Rapid IV push over 1-2 seconds Flush line immediately with 5-20 ml NS Infuse as close to IV site as possible IO administration also successful Atropine (0.1 mg/ml) Bradycardia 0.02 mg/kg/dose IV May repeat x 1 dose in 3 minutes Calcium gluconate (100 mg/ml)= 9.4 mg elemental calcium /ml Cardia arrest Hypocalcemia 100 mg/kg/dose IV Not for IM or SQ use May repeat x 1 dose, then dose per ionized calcium results Administer by slow IV push for cardiac arrest, infuse over 30-60 minutes for other indications. Stop infusion if HR is greater than 100 bpm. Do not give intra-arterially. Dextrose 10% (0.1 Gm/ml) Hypoglycemia Hyperkalemia in combination with insulin 0.2 Gm/kg/dose IV as D10W Then continuous infusion of D10W

मरीज की खुशी ही हमारे जीने का मकसद है।

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सोमवार की सुबह थी में किसी काम से बाहर गया हुआ था और हॉस्पिटल से छुट्टी ले रखी थी । काम में बहुत समय लग गया था तो दोपहर हो गई थी मुझे बहुत भूख भी लगने लग गई थी तो में जल्दी से काम खत्म करके घर जाने लगा । मेरे घर के रास्ते में ही मेरा हॉस्पिटल पड़ता है । उस दिन जब में घर जा रहा था तो मैने देखा कि हॉस्पिटल के पास वाली मार्बल (पत्थर) की फैक्ट्री में बहुत भीड़ हो रही थी और एक आदमी जोर जोर से चीख रहा था। ये सब देख कर में भी वहा गया और पूरी बात समझी कि आखिर हुए क्या। वहा जाकर पता चला कि फैक्ट्री में काम करने वाले एक मजदूर के पैर पर मार्बल का एक पत्थर गिर गया था जिसकी वजह से उसका पैर नीचे दब गया और वो जोर जोर से चीखने लगा । वहा खड़े हम सभी लोगो ने मिलकर उसके पैर से को पथर को हटाया। पत्थर हटते ही देखा तो सभी चोक गए , उस मजदूर का पैर पूरी तरह से मूड चुका था और एक घाव भी हो गया था जिसमें से खून बह रहा था। में समझ गया था कि इसके लिगामेंट ( हड़ी को हड़ी से जोड़ने वाला माशपेशिया धागा) टूट गए है। में उसी वक्त वहा से भागा और हॉस्पिटल के स्टाफ को बताया ओर स्वीपर स्टाफ के साथ स्टेचर लेकर व

जिंदगी मिली दुबारा!

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एक समय की बात है एक दिन में और मेरे स्टाफ ऑपरेशन थियेटर से फ़्री हो कर बैठे थे और आगे की तैयारी कर रहे थे मतलब आगे के ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थियेटर के कपड़े तेयार कर थे । और गपे लगा रहे थे तभी अचानक नीचे ( रिसेप्शन) से पता चला कि नीचे ( इमरजेंसी में ) मरीज आया है जो कि बहुत गंभीर हालत में है और जिंदगी और मौत के बीच में हो । में और मेरा स्टाफ इमरजेंसी की और भागा और देखा कि मरीज केसा है। मरीज को देख कर लगा कि मरीज को इंटूबेशन ( कृत्म श्वसन ) की जरूरत है। में मरीज के पास गया और मरीज को इंतुबेट किया और उसे सी. पी. आर.  दी और मरीज को जिंदा रखा । करीब 1 से 1:30 घंटे की कोशिश के बाद मरीज को सही अवस्था में लाया गया । मरीज की हालत में सुधार देख कर मरीज को एक्स रे डिपार्टमेंट में ऑक्सीजन की उपस्तिथि में भेजा गया । एक्स रे की रिपोर्ट आते ही पता चला की मरीज के दाहिने पैर की हड़ी ( फीमर ) टूटी हुई थी। खून की कमी के कारण मरीज कि सर्जरी रोकी गई और जिस हालत में मरीज था उसमे उसकी सर्जरी मुमकिन नहीं थी। मरीज करीब 2 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहा और उसके तकरीबन 3 यूनिट खून चड़ने के बाद सर्जरी करन

हॉस्पिटल में दूसरा जन्म

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दोपहर का समय था, में रोजाना की तरह 2 बजे हॉस्पिटल आ गया था, हॉस्पिटल में आते ही में सबसे पहले हमारे ऑपरेशन थियेटर के दूसरे स्टाफ से मिला और उनसे मरीज की जानकारी ली तभी उनसे पता चला कि आज ऑपरेशन के लायक कोई मरीज हॉस्पिटल में नहीं है चुकी हमारे डॉक्टर की टीम ने सभी ऑपरेशन एक दिन पहले ही पूरे कर लिए थे। कुछ समय बाद में और मेरा स्टाफ बैठ कर कुछ चर्चा कर रहे थे तभी एम्बुलेंस की अचानक आवाज सुनाई दी और स्वीपर स्टाफ और वार्ड बॉय दौड़ कर एम्बुलेंस की तरफ गए । में और बाकी स्टाफ भी मरीज को देख कर एक्टिव हो गए और ग्लव्स (दस्ताने) पहन कर तैयार हो गए । मरीज रोड़ ऐक्सिडेंट का था, मरीज की हालत देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि दुघर्टना बहुत भयानक थी। मरीज को इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लिया गया और इलाज सुरु कर दिया गया। मरीज के सर और हाथ, पाव पर बहुत गहरी चोट थी और खून भी काफी बेह रहा था । इमरजेंसी डिपार्मेंट के स्टाफ ने मरीज को इंजेक्शन और बाकी ट्रीटमेंट लगाया और गहरी चोट पर टाके लगाना शुरू किया । मरीज की हालत बहुत खराब थी और मरीज पूरी तरह से होश में भी नहीं था। डॉक्टर की टीम भी मौके पर मौजू