मरीज की खुशी ही हमारे जीने का मकसद है।

सोमवार की सुबह थी में किसी काम से बाहर गया हुआ था और हॉस्पिटल से छुट्टी ले रखी थी ।
काम में बहुत समय लग गया था तो दोपहर हो गई थी मुझे बहुत भूख भी लगने लग गई थी तो में जल्दी से काम खत्म करके घर जाने लगा ।
मेरे घर के रास्ते में ही मेरा हॉस्पिटल पड़ता है ।
उस दिन जब में घर जा रहा था तो मैने देखा कि हॉस्पिटल के पास वाली मार्बल (पत्थर) की फैक्ट्री में बहुत भीड़ हो रही थी और एक आदमी जोर जोर से चीख रहा था।
ये सब देख कर में भी वहा गया और पूरी बात समझी कि आखिर हुए क्या।
वहा जाकर पता चला कि फैक्ट्री में काम करने वाले एक मजदूर के पैर पर मार्बल का एक पत्थर गिर गया था जिसकी वजह से उसका पैर नीचे दब गया और वो जोर जोर से चीखने लगा ।
वहा खड़े हम सभी लोगो ने मिलकर उसके पैर से को पथर को हटाया।
पत्थर हटते ही देखा तो सभी चोक गए , उस मजदूर का पैर पूरी तरह से मूड चुका था और एक घाव भी हो गया था जिसमें से खून बह रहा था।
में समझ गया था कि इसके लिगामेंट( हड़ी को हड़ी से जोड़ने वाला माशपेशिया धागा) टूट गए है।
में उसी वक्त वहा से भागा और हॉस्पिटल के स्टाफ को बताया ओर स्वीपर स्टाफ के साथ स्टेचर लेकर वहा पहुंचा।
भीड़ को हटा कर हमने बड़ी ही ध्यान पूर्वक उसके पैर को पकड़ कर उसकी स्टेचर पर लेटाया और जल्दी से हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में लेकर गए ।
इमरजेंसी वार्ड में हडियों के डॉक्टर भी पहुंच चुके थे और उन्होंने एक्स रे करने की सलाह दी।
 स्टाफ की सहायता से उसके पैर के घाव को पट्टी की ओर उसको दर्द का इंजेक्शन लगाया।
कुछ देर बाद उसको दर्द में आराम मिलने पर उसका एक्स रे कराया गया।
चुकी हड़ीयों में किसी प्रकार की कोई टूट फुट नहीं होने के कारण उसके एक्स रे रिपोर्ट सही आई ।
परंतु पर का मुड़ाव देख कर पता चल रहा था कि उसके लिगामेंट टूट चुके थे।
डॉक्टर के कहने पर उसको पैर कि एम. आर. आई. (एक प्रकार की जांच जिसमें लिगामेंट के टूटने का पता चलता है) 
कराने हेतु भेजा गया ।
रिपोर्ट आने पर पता चला कि मरीज के लिगामेंट टूट हुए थे।
मरीज को इस बारे में पूरा समझाया गया और बताया गया की किस प्रकार ये ऑपरेशन के द्वारा बिल्कुल सही हो जाएगा ।
मरीज और मरीज के साथ वालो को पूरा समझाने के बाद और उनके पूरी तरह सहमत होने के बाद ही डॉक्टर की टीम ने सर्जरी करने कि फैसला लिया और अगले ही दिन सर्जरी करने का प्लान किया।
मरीज के खून की सारी जांचे हो जाने के बाद बेहोशी वाले डॉक्टर को भेजी गई और उनके सहमति का इंतजार करने लगे ।
कुछ ही समय में बेहोशी वाले डॉक्टर के द्वारा सर्जरी को हरी जंडी मिली और अगले दिन सर्जरी शुरू कर दी गई।
सर्जरी के दौरान और सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आई और सब कुछ अच्छे से हर दिन की भांति पूरा हो गया ।
मरीज को वार्ड में सिफ्ट किया गया।
सर्जरी के अगली सुबह मरीज को डॉक्टर्स के द्वारा देखा गया और कुछ टेस्ट कराए गए।
सब रिपोर्ट अच्छी आने पर डॉक्टर ने अगली सुबह छुट्टी देने का फैसला किया।
मरीज करीब 3 दिन हॉस्पिटल में रहा ।
मरीज को अगली सुबह छुट्टी दे दी गई और 7 दिन बाद वापस दिखाने को कहा गया।
जब 7 दिन बाद मरीज वापस आया तो उसके चेहरे पर खुशी जलक रही थी जो ये सीधा सीधा इशारा कर रही थी कि मरीज इस सर्जरी से और हॉस्पिटल स्टाफ से बहुत प्रभावित हुआ है ।
ये सब देख कर हमारी टीम बहुत खुश हुई ।
" मरीज की खुशी ही हमारे जीने का मकसद है "

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