जिंदगी मिली दुबारा!

एक समय की बात है एक दिन में और मेरे स्टाफ ऑपरेशन थियेटर से फ़्री हो कर बैठे थे और आगे की तैयारी कर रहे थे मतलब आगे के ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थियेटर के कपड़े तेयार कर थे ।
और गपे लगा रहे थे तभी अचानक नीचे ( रिसेप्शन) से पता चला कि नीचे ( इमरजेंसी में ) मरीज आया है जो कि बहुत गंभीर हालत में है और जिंदगी और मौत के बीच में हो ।
में और मेरा स्टाफ इमरजेंसी की और भागा और देखा कि मरीज केसा है।
मरीज को देख कर लगा कि मरीज को इंटूबेशन ( कृत्म श्वसन ) की जरूरत है।
में मरीज के पास गया और मरीज को इंतुबेट किया और उसे सी. पी. आर.  दी और मरीज को जिंदा रखा । करीब 1 से 1:30 घंटे की कोशिश के बाद मरीज को सही अवस्था में लाया गया ।
मरीज की हालत में सुधार देख कर मरीज को एक्स रे डिपार्टमेंट में ऑक्सीजन की उपस्तिथि में भेजा गया ।
एक्स रे की रिपोर्ट आते ही पता चला की मरीज के दाहिने पैर की हड़ी (फीमर) टूटी हुई थी।
खून की कमी के कारण मरीज कि सर्जरी रोकी गई और जिस हालत में मरीज था उसमे उसकी सर्जरी मुमकिन नहीं थी।
मरीज करीब 2 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहा और उसके तकरीबन 3 यूनिट खून चड़ने के बाद सर्जरी करने का निर्णय लिया गया ।
सर्जरी से पहले मरीज को पूरी तरह डॉक्टर की टीम के द्वारा चेक किया गया।
मरीज के घर वालो को ऑपरेशन के दौरान और बाद में होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराया गया ।
सभी की सहमति से सर्जरी का निर्णय लिया गया।
सर्जरी अगली दोपहर को करने का प्लान हुआ ,
मरीज को रात से ही कुछ भी ना खाने और पीने की सलाह दी गई तथा उसे ऑपरेशन से पूर्व लगने वाले सभी जरूरी दवाई और इंजेक्शन लगाए गए ।
अगले सुबह ऑपरेशन के दिन मरीज कि डॉक्टर के द्वारा पूरी प्रक्रिया समझाई गई की ऑपरेशन थियेटर में क्या और कैसे होगा ।
मरीज पूरी तरह समजने के बाद और मरीज के पूरी तरह ऑपरेशन के लिए सहमत होने के बाद मरीज को ऑपरेशन थियेटर में लिया गया।
मरीज के जिंदगी का ये पहला ऑपरेशन होने के कारण उसको काफी डर का अनुभव हो रहा था जो की पूर्णतया वाजिब था।
स्टाफ के द्वारा उसे समझाया गया की डरने की कोई बात नहीं है भगवान की कृपा से सब अच्छा होगा।
कुछ ही देर में बेहोशी वाले डॉक्टर भी आ गए।
उन्होंने मरीज को देखा और कुछ पुरानी बीमारी के बारे में  बाते पूछी की कोई पुरानी बीमारी तो नहीं थी ।
सभी जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर ने मरीज को बेहोश करने की तेयार की, और मरीज के कमर में एक सुई लगा कर मरीज के नीचे का पूरा हिसा सुन कर दिया ।
कुछ देर बाद जैसे ही बेहोशी वाले डॉक्टर की तरफ से ऑपरेशन शुरू करने कि अनुमति मिली में और मेरा स्टाफ जल्दी से तेयार होकर ऑपरेशन की तैयारी करने लगे।
कुछ ही समय में सारी तैयारी पूरी हो गई और उसके बाद जल्द ही हड़ीयो के डॉक्टर ने हम ज्वाइन किया और ऑपरेशन शुरू हो गया ।
हडियो के काफी टुकड़े होने के कारण हमें उसके पैर पर चिरा लगा कर ऑपरेशन करना पड़ा।
सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी अचानक मरीज जोर जोर से हिलने और कूदने लगा।
मरीज को ताने (सीजर) आ रही थी, बेहोशी वाले डॉक्टर के कहने पर ऑपरेशन को रोका गया और बेहोशी वाले डॉक्टर के द्वारा उसे चेक किया गया । डॉक्टर के द्वारा पूरी कोशिश करने पर भी मरीज कि हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था और देखते ही देखते मरीज की पूरी तरह सांसे बंद हो गई और मरीज सुन सा पड़ गया ।
सभी स्टाफ और डॉक्टर ये देख कर तुरन्त हरकत में आए और फटाफट उसे सी. पी. आर. और  इंटूबेट करने लगे।
करीब आधे घंटे की मस्कत के बाद मरीज कि सांसे पुनः शुरू हुई और सभी की जान में जान आयी ।
एक बार के लिए तो सभी के पैरो के नीचे से जमीन ही खिसक गई थी।
मरीज की हालत अब सही लग रही थी और मरीज अब बोलने भी लग गया था, ये देख कर सभी स्टाफ और डॉक्टर बहुत खुश हुए और भगवान का शुक्रिया अदा किया ।
मरीज के पूरी तरह से ठीक होने के बाद बेहोशी वाले डॉक्टर के कहने पर सर्जरी वापस शुरू की गई।
बेहोशी वाले डॉक्टर ने मरीज के इस हालत का कारण बताया कि जब भी नीचे का शरीर सुन करने की दवाई दी जाती है और उस समय मरीज कि पोजिशन सही नहीं हो तो ऐसा होना संभव है।
सर्जरी पूरी होते होते मरीज अब बिल्कुल सही हो चुका था और उसको सर्जरी के दौरान भी 2 यूनिट खून और चड़ाया गया ।
करीब 3 से 4 घंटे के बाद सर्जरी पूरी हुई और मरीज के घाव और पट्टी की ओर मरीज को पूरी तरह से डॉक्टर के द्वारा चेक कर के ही आगे रिकवरी वार्ड में भेजा गया।
वार्ड में भी मरीज का इलाज पूरी तरह से डॉक्टर की सलाह पर हुई ।
रात भर मरीज को वापस कोई दिकत नहीं हुई तब जाकर सभी को सांस में सांस आई।
अगली सुबह डॉक्टर मरीज को देखने वार्ड में गए और साथ  में भी गया ।
डॉक्टर ने मरीज से बात की तथा उसे चेक किया और कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी।
लगभग मरीज हॉस्पिटल में 3 दिन रहा ओर बाद में उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई ।
आज भी जब कभी वो मरीज हॉस्पिटल में दिखाने वापस आता है तो में और मेरा स्टाफ ओर डॉक्टर की टीम उस दिन के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करते है और सोचते है कि भगवान ने इसको दूसरा जन्म दिया है ।


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